गुरुवार, 7 दिसंबर 2017

जैसा मन वैसा तन-(धारावाही छंद) by Poet pukhraj yadav

छंद परिचय-
*धारावाही छंद*

(जाति=वासव/
चरण=४/
कुल मात्रा= ३२/
कुल वर्ण=१६)
सीमा-२२२२

घेरो मेघों,
रैना होने|
जैसे कोई,
पीड़ा धोने|

बाजा बाजे,
जैसे ढोला|
वैसे तासे,
धूनी साजे|

आजा सूता,
तू भी आना|
दूरी काटे|
आपे-आपे|

जैसा तूने,
बोया है जो|
वैसा ही तो,
काटेगा सो|

काहे काला,
सोचा तूने|
चाहे क्यों-क्यों
ढ़ोया तूने|

भाए कोई,
वैसा ही हो|
ढ़ालो सो तो,
साधे सा हो|

तेरा मेरा
काहे स्वांगे|
अर्था जोड़े,
भिक्षा मांगें|

घेरो मेघों,
रैना होने|
जैसे कोई,
पीड़ा धोने|

©पुखराज यादव
     महासमुन्द

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें