मंगलवार, 12 दिसंबर 2017

कर्मपुष्प का रोपण- (पर्यावरणी छंद)- by poet Pukhraj Yadav

छंद परिचय-
*पर्यावरणी छंद*
(जाति- वासव /
चरण=४/
कुल मात्रा=३२/
कुल वर्ण=२०)
सीमा-
*२लघु+मगण*

मिल जाए जो,
बिन पीड़ा के|
फल वो जैसे,
कुछ खोटा हो|

पग छाले जो,
लगते ज्यों ज्यों,
फिर आनंदी,
मन मेरा त्यों|

डग ना भाई,
तप तो खोता,
छिप काहे को,
तम में रोता|

लग जाने दे,
पय में गोता,
फिर तो देखो,
जय क्या होता|

रख कोई ना,
मन में आरा,
सब हैं तेरे,
सबका प्यारा|

कर ऐसे तो,
कुछ हो पारी,
मन मोहे तू,
बन व्यापारी|

चल जाए तो,
स्व किनारा को,
विजयी है तू,
मनु प्यारा जो|

रचनाकार-
*©पुखराज यादव*
    9977330179
         महासमुन्द

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