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अकाय-श्री
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कवि-धर्म-( दोधक छंद)
कवि-धर्म छंद- दोधक छंद मात्राएँ- (भ..+भ..+भ..+22= 16) वर्ण- 11 क्या लिखते रहते तुम भाया। हालत ठीक न है यह काया। घोर...
कविता- डमरू-घनाक्षरी छंद
डमरू-घनाक्षरी छंद (2222,2222,2222,2222) चल चल पग रख,डगर पर न डग। बल बल रख सम,तम पर रख पग। बढ़ बढ़ झट झट, खटखट मत कर। हस हस चल अब,ठग स्व...
मृत्यु को निमंत्रण -(स्वागता छंद)
मृत्यु को निमंत्रण स्वागता (रगण नगण भगण+ 22) शोक-शोक लहरें बढ़ जाएँ। काल मृत्यु तब तंड़व भाएँ। घोर-घोर सब वंदन गाए। ...
हम आए हैं द्वारे आपके-(मलयज छंद)- by poet pukhraj yadav
छंद परिचय- *मलयज छंद* (जाति= वासव/ चरण=४/ कुल मात्रा= ३२/ कुल वर्ण=३२) सीमा- *११ ११ ११ ११* सुर सुन स्व तनिक, तुम अचल अटल| सम सरि क...
श्रम ही सार है - (अष्टांग छंद) - by poet Pukhraj yadav
छंद परिचय- *अष्टांग छंद* (जाति=वासव/ चरण=४/ कुल मात्रा=३२/ कुल वर्ण=२४) सीमा- *नगण-यगण* चुप-चुप क्यों हो| डर-कर ज्यों हों| चल-चल भ...
देव शक्ति को नमन- अखण्ड छंद by Pukhraj yadav
छंद परिचय- *अखण्ड छंद* (जाति= वासव/चरण=४/कुल मात्रा=३२/कुल वर्ण= २०) सुनो कहानी, बड़ी महानी| चले न कोई, विपत्ति राही| अयोग्य ना तू, ...
ईश्वर के चरणों में -(शालिनी छंद)
ईश्वर के चरणों में शालिनी छंद (मगण तगण तगण गुरू गुरू) हारा वो है देख,टूटा कहीं से। ले जाता है कौन,ज्यादा यहीं से। क्या...
बदलते ग्रामीण परिवेश-(भुजंगी छंद)
- बदलते ग्रामीण परिवेश - भुजंगी छंद (यगण यगण यगण + लघु गुरू) कहीं धूप है तो कहीं छाँव है। कहीं शीत है तो कहीं रां...
प्रेम-रोग तो नहीं?- (छविछंद)- by poet pukhraj yadav
छंद-परिचय- छविछंद (जाति= वासव/ चरण=४/ कुल मात्रा=३२/ कुल वर्ण= २४) १२१ १२१ कभी तय इश्क, करे कुछ नाहि| धुँआ कह जान, कहे तब पाहि...
कर्मपुष्प का रोपण- (पर्यावरणी छंद)- by poet Pukhraj Yadav
छंद परिचय- *पर्यावरणी छंद* (जाति- वासव / चरण=४/ कुल मात्रा=३२/ कुल वर्ण=२०) सीमा- *२लघु+मगण* मिल जाए जो, बिन पीड़ा के| फल वो जैसे...
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आओं भविष्य लिखदें- (अष्टक छंद) by poet Pukhraj yadav
कर्मपुष्प का रोपण- (पर्यावरणी छंद)- by poet Pukhra...
श्रम ही सार है - (अष्टांग छंद) - by poet Pukhraj y...
जैसा मन वैसा तन-(धारावाही छंद) by Poet pukhraj yadav
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