मुख्यपृष्ठ
About
अकाय-श्री
मुख्यपृष्ठ
About
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
मुख्यपृष्ठ
Popular
Tags
Blog Archives
कवि-धर्म-( दोधक छंद)
कवि-धर्म छंद- दोधक छंद मात्राएँ- (भ..+भ..+भ..+22= 16) वर्ण- 11 क्या लिखते रहते तुम भाया। हालत ठीक न है यह काया। घोर...
कविता- डमरू-घनाक्षरी छंद
डमरू-घनाक्षरी छंद (2222,2222,2222,2222) चल चल पग रख,डगर पर न डग। बल बल रख सम,तम पर रख पग। बढ़ बढ़ झट झट, खटखट मत कर। हस हस चल अब,ठग स्व...
श्रम ही सार है - (अष्टांग छंद) - by poet Pukhraj yadav
छंद परिचय- *अष्टांग छंद* (जाति=वासव/ चरण=४/ कुल मात्रा=३२/ कुल वर्ण=२४) सीमा- *नगण-यगण* चुप-चुप क्यों हो| डर-कर ज्यों हों| चल-चल भ...
प्रेम-रोग तो नहीं?- (छविछंद)- by poet pukhraj yadav
छंद-परिचय- छविछंद (जाति= वासव/ चरण=४/ कुल मात्रा=३२/ कुल वर्ण= २४) १२१ १२१ कभी तय इश्क, करे कुछ नाहि| धुँआ कह जान, कहे तब पाहि...
मेरे बारे में
Unknown
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
ब्लॉग आर्काइव
▼
2017
(16)
▼
दिसंबर
(7)
प्रेम-रोग तो नहीं?- (छविछंद)- by poet pukhraj yadav
हम आए हैं द्वारे आपके-(मलयज छंद)- by poet pukhraj ...
आओं भविष्य लिखदें- (अष्टक छंद) by poet Pukhraj yadav
कर्मपुष्प का रोपण- (पर्यावरणी छंद)- by poet Pukhra...
श्रम ही सार है - (अष्टांग छंद) - by poet Pukhraj y...
जैसा मन वैसा तन-(धारावाही छंद) by Poet pukhraj yadav
देव शक्ति को नमन- अखण्ड छंद by Pukhraj yadav
►
नवंबर
(1)
►
अक्टूबर
(8)
Blogger
द्वारा संचालित.
Labels
कविता
Blog Archive
▼
2017
(16)
▼
दिसंबर
(7)
प्रेम-रोग तो नहीं?- (छविछंद)- by poet pukhraj yadav
हम आए हैं द्वारे आपके-(मलयज छंद)- by poet pukhraj ...
आओं भविष्य लिखदें- (अष्टक छंद) by poet Pukhraj yadav
कर्मपुष्प का रोपण- (पर्यावरणी छंद)- by poet Pukhra...
श्रम ही सार है - (अष्टांग छंद) - by poet Pukhraj y...
जैसा मन वैसा तन-(धारावाही छंद) by Poet pukhraj yadav
देव शक्ति को नमन- अखण्ड छंद by Pukhraj yadav
►
नवंबर
(1)
►
अक्टूबर
(8)
BTemplates.com
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें