अभिमन्यु-गाथा
छंद- इंद्रवज्रा
मात्रा- त.... त.... ज...+ 22
है शौर्य का सार सरोज गाथा।
है वीर पर्याय अभिमन्यु गाथा।
सूना तभी वो व्युह शुन्य होके।
जैसे उसे हार कभी न रोके।
संसार का है वह वीर आला।
था ज्ञान एवं तलवार भाला।
था तुंग जैसे वह वीर सोला।
गंभीर रत्नाकर धीर भोला।
वो युद्ध को पांव बढ़ा रहा था।
ले तीर भाला विकराल वो था।
हो चक्रव्युहों सब तोड़ बाधा।
सुर्या बने वो रण में विधाता।
संघार दुर्योधन देख भागा।
जैसे वही काल समान आगा।
वो द्वंद संघार असीम लागा।
जो नर्तका काल समीर जागा।
हो चाल भूचाल अकाल साथा।
आकाश देखा नर काल गाथा।
हारे सभी युध्द समीर सारे।
ले आड़ वो ढ़ोग अजेय मारे।
वो गाज आगाज प्रहार भारी।
वो था महावीर कुमार भारी।
-पुखराज यादव"अकाय"
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