छंद-परिचय-
छविछंद
(जाति= वासव/
चरण=४/
कुल मात्रा=३२/
कुल वर्ण= २४)
१२१ १२१
कभी तय इश्क,
करे कुछ नाहि|
धुँआ कह जान,
कहे तब पाहि|
सुधा सम मीठ,
मीठ अधि चाहि|
हरे मन तेज,
मधू लब जाहि|
खरा वह सार,
बहे जस धार,
करे नत प्रेम,
वही लग पार|
चले हम संग,
बने जस अंग|
सुनो तुम प्रीत,
रहे तब संग|
नहीं तव दूर|
बनी जब हीर|
करू वर नाम,
बनू तब वीर|
कहे जग रोग,
इसे मय,सार|
दिया उर वार,
बचे फिर प्यार|
लती भय नैन,
रमा रम जात|
हरे हर पीर,
निरंक प्रयाग|
*©पुखराज यादव*